वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने में भारत जल्दबाजी नहीं करना चाहता है. उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी के दुरुपयोग की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन के लिए बहुत सोच-समझकर ही कोई फैसला लिया जाएगा. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में बात करते हुए उन्होंने इस फैसले में जल्दबाजी नहीं करने पर जोर दिया.
“इसके लिए इसे पूरा समय मिलना चाहिए. जो भी जानकारी हमें उपलब्ध है, उसके अनुसार हम इसके बारे में फैसला करेंगे. इसमें किसी तरह की जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए.” मंत्री ने कहा.
उन्होंने साफ किया कि ब्लॉकचेन में आने वाली डिस्ट्रिब्यूटेड लैजर टेक्नोलॉजी की प्रोग्रेस और इनोवेशन को प्रोमोट करने के लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी मंशा क्रिप्टोकरेंसी और इसकी प्रगति को ठेस पहुंचाने की नहीं है लेकिन, हमें अपने आपको परिभाषित करना है.
वित्त मंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी के दुरुपयोग की ओर भी ध्यान दिलाते हुए कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अवैध कामों में भी किया जा सकता है. इसे मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्त पोषण के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है. इसलिए ये कुछ चिंताएं हैं जो इससे जुड़ी हैं. ये केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि, दुनिया के कई देशों के लिए विचारणीय तथ्य है.
भारत सेंट्रल बैंक की ओर से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को पेश करने की योजना बना रहा है. 1 फरवरी को दिए अपने बजट स्पीच में निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डिजिटल रुपया या सीबीडीसी इसी वित्त वर्ष में जारी करेगा. इस दौरान उन्होंने ये भी घोषित किया था कि, 1 अप्रैल से प्राइवेट डिजिटल संपत्ति से होने वाले लाभ पर भी 30 प्रतिशत टैक्स लागू होगा.
Reserve Bank of India के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने इस महीने की शुरुआत में CBDC के बारे में कहा था कि भारत की डिजिटल करेंसी को लॉन्च करने के लिए बहुत गहन सोच की आवश्यकता है क्योंकि, इकोनॉमी और मॉनिटरी पॉलिसी पर यह कई तरह से प्रभाव डालेगी. उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी सीख दुनिया के अनुभव से नहीं बल्कि, हमारे स्वयं के अनुभव से प्राप्त होगी.
HDFC और HDFC Bank के विलय पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि यह एक अच्छा कदम है. इंफ्रा फाइनेंसिंग की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को कई और बड़े बैंकों की आवश्यकता है.